इस कदर पूरा ये बिता साल.

इस कदर पूरा ये बिता साल...८/४/१६

समझना मुश्कील सा है हुआ बताना पूरा ये बिता साल |
याद है लम्हा हर हराभरा और बस स्तिमित हू फिलहाल |

दुनिया बच्चो की चहक बन, पलक झपकते यू निकला साल  |
पाया प्यार और खुशिया हजारो, बेशक हर दिल ने पकडी ताल |

वो पहला दिन और नाटिका बनी थी आचार्यो से गुलजार |
क्या गजब की शुरुवात हुई और कारवा चल पडा बेशुमार |

नये नये से सात आठ थे वो पर छा गये सब पे आरपार |
कोई अनुठा,कोई बडबोला, तो कोई था तीलीस्माई भरमार  |

आए नये हमराही जुडे राह पर अब हर जुबान पे उनका नाम |
पुराने भी तो पूरे जोश में सटीक महत्तम होता चला गया काम |

मिली खुशिया कुछ अलगथलग आया सायन्स कला  त्योहार  |
मिला औदा और मंजिल भी आंखो देखा माशेलकर साहब इतबार |

भराया मेला भी बडी कशिश से और जीत भी पायी यो हरबार |
खुश्नुमा बच्चे, अभिभावक प्रसन्न और विस्मित डॉ. प्राची बेशुमार |

आयी बेला दूसरी फिर चल पडे सब करते नयी नयी शुरुवात |
ऑलिम्पियाड या खेल-कूद में हरतरफ बस मेडलो की बरसात |

साथ, नवीनता,खुशहाली भी, चल पडी कर्मगती निरंतर दिनरात |
लगे चार चांद फिर जब स्नेहसंमेलन, सफारी खोल गया जज्बात |

था अपूर्व वो, था अद्भूत् वो, था भविष्य सुकृत का आगाज |
क्या धमाका था, क्या नजारा था, क्या विलोभनीय आवाज  |

वक़्त था कथा-चित्र का और आई बेला लेकर सब इतिहास |
महाभारत,हनुमान से लेकर चाणक्य मल्हार शिवाजी का प्रवास |

झांसी, बाजीराव, कृष्णा, अभिमन्यू, क्रांतोकारियो का विश्वास |
महिषासुर, तानसेन, रामायण और हुआ राणाप्रताप का आभास |

बच्चे ही थे आगा पीछा, वो ही थे मध्य, और चलाख सूत्रधार |
यू हुकुमत कर पडे दिलों पर दिल जिते सबके बन वो सरकार |

अब चरण आखरी, दौर आखरी, बढती सोच नयी, नया विचार |
उम्मीद नयी, दिशा नयी, अविर्भाव नये और अच्छाई का स्वीकार |

है आस हमे भी बागबान फूले फले, वटवृक्ष इसी तरह ले आकार |
रहे रहमत उसकी, रखे ख्याल हमारा कृपालु ईश्वर साई साकार |

                                             --सचिन गाडेकर

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