बस चलते जाना है........

………….…बस चलते जाना है |  8/8/15

रोकती हर बार मुझे न जाने क्यो वो टोकती हर राह |
चलू जिसकी ओर वो है जाता खडा खोलके दोनो बाह |
कहू न कहू किस्मत तुझे बस इतना है मैने माना है |
....................बस चलते जाना है |

पुछता खुद से मै क्या सही क्या गलत हो रहा |
जाना किस राह और भला किस और तू खो रहा |
क्या सोचा है अबतक सही बता तुझे क्या पाना है |
....................बस चलते जाना है |

जोर शोर हो रहा दिख रहा तू कही तो चल पडा है |
आसपास भीड तेरे बडा बेखौफ साथ बडो के खडा है |
क्या उस अनुठे पलो में छुपा सच कभी पहचाना है    |
.....................बस चलते जाना है |

कर रहा हरसंभव कोशिश तू में न कोई कही लडखडाये |
अच्छे हुये गुमसुम बता हिम्मत गैर कैसे नही बढ पाये |
हो रही बेतुकी बाते मुश्कील हरवक़्त हो रहा बचपाना है |
......................बस चलते जाना है |

मिलजुल बढ रहा और बताओ चुप क्यो हर कोई यहां |
शुरुआत गर ऐसी तो ना पुछो अंत होगा कैसे और कहां |
बैठा कोई कर बंद आंख मुश्कील बडा उसे समझाना है |
......................बस चलते जाना है |
                               
                                 --सचिन गाडेकर

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