बस थोडी मोह्लत दे दे मेरे मौला..

बस थोडी मोह्लत दे दे मेरे मौला...... 19/8/15

 
कर दू वीरान बंजर एकदम हरासा |
और भर दू जान उन गडे मुर्दो  में |
हो जाये एकसाथ ये बिखरा आलम |
और तोडू नफरत की ये खडी दिवार ||
बस थोडी मोह्लत दे दे मेरे मौला......

 
मिटा दू सारे गिले शिकवे हुये जो औरो से |
और एक बात कहलाऊ एक सी हजारो से |
बन जायें सब कायल ऐसे एक दूजे के |
और आमांदा हो जाये बहाने प्यार कि गंगा ||
बस थोडी मोह्लत दे दे मेरे मौला......

 
खिला दू फूल कहो तो सूखे दरिया में |
और मिटा दू भूख हरेक इन्सान की |
करा दू मुलाकात खुदगर्ज की खुदा से |
और शिश झुके हरेक का सच्चे इमान से |
बस थोडी मोह्लत दे दे मेरे मौला......

 
करा दू नामुमकीन भी मुमकिन पक्का सा |
और भूला दू ‘ना,नहीं’ हरेक झूठी जबान से |
हसां दू खिलखिलाकर हर वो रोती बेवजह सुरत |
और भूला गम देख पाये हर कोई असली मुरत |
बस थोडी मोह्लत दे दे मेरे मौला......

 
बरसा दू प्यार जोरशोर से बिन बादल बरसात |
और मान ले संघर्ष बिना अनकही मन कि बात |
भूला दू हर बुरी बात और हो नये का पूरा पूरा सत्कार |
और ना लगे फूला खुश होकर, ना दुख से बडी फटकार |
बस थोडी मोह्लत दे दे मेरे मौला......

 
 
चला दू हर पैया रुका, स्थिरमती बन पडे गतिमान |
और बने खुशहाल छोड खुद को करने पूरे अरमान |
करेंगे सब नजर झुकाके छोडे बडे का दिल से सन्मान |
और बढा चल,बढा चल आगे दे हर कोई खुद को फर्मान |
बस थोडी मोह्लत दे दे मेरे मौला......

                   -- सचिन गाडेकर
 

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