कुछ नहीं बदला

कुछ नहीं बदला | १४/५/१७

कुछ नहीं बदला
बस बदल गये रास्ते
पर  मंझील अभी भी वही है |

ना बदला है हिमालय वो बस हिल गया है इधर उधर  |
ना भटका है राह पंछी आशियाना हुआ है तितर बितर  |

ना खौफजादा है ये धरती बस सह ना पाई इन्सानी कहर  |
ना टूटी है हिम्मत पेड की बस उखाड गई शाख एक लहर |

ना हटी सतह से धारा बस बहा ले गया सैलाब बन नहर |
ना दवा गलत थी बस कुछ ज्यादा हो गया दवा का असर |

ना थका है राह्बर बस फेक आग सर चल पडा है दोपहर |
ना प्यार बढा गांव से यू बस बेईमान हो चला अपना शहर |

ना रुठा ना बिछड गया बस चला गया दूर यार हमसफर |
है दिल दिमाग में अभी भी उसकी हर एक बात और खबर |

-- सचिन गाडेकर

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